हरिश्रृंगार
(पारिजात) की पत्तियों का काढ़ा बनाने की विधि:
इस पौधे की 10 पत्तियाँ लेकर एक गिलास पानी में इतना उबालना है ताकि पानी आधा हो जाये। पानी को उबालने के बाद काढ़े को छान लें अब काढ़े में 4 से 5 केसर के धागे डालें, और वातावरण के तापमान तक ठंडा होने दें ।
काढ़े के सेवन की विधि:
पहले 15 दिन
तक लगातार पियें ।
उसके बाद एक हफ्ते का
गैप दें ।
फिर 13 दिन तक लगातार पियें। फिर एक हफ्ते का गैप करें ।
इस तरह 11 दिन
तक लगातार पियें फिर 1 हफ्ते का गैप करें
फिर 9 दिन
पियें फिर 1 हफ्ते का गैप करें
फिर 7 दिन
पियें फिर 1 हफ्ते का गैप करें
फिर 5 दिन
पियें फिर 1 हफ्ते का गैप करें
फिर 3 दिन
पियें फिर 1 हफ्ते का गैप करें
अब इसे काढ़े को पीना बंद कर
दें ।
इस कार्य को लगभग हर
सर्दी में 3
साल तक करें ।
ध्यान
दें:
1. ध्यान
रखें रोज़ ताज़ा काढ़ा तैयार करें ।
2. काढ़े को सामान्य वातावरण के तापमान तक ठंडा होने करने के बाद ही सेवन करें।
3. इस काढ़े का सेवन मात्र सर्दियों में करें, गर्मियों में नहीं क्योंकि इस रस की तासीर गर्म होती है ।
4. इस प्रक्रिया को अपनाने के पूर्व आयुर्वेदिक चिकित्सक अथवा प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। यह लेख मात्र सूचनार्थ है ।
5. इस काढ़े के सेवन से आर्थिराईटिस (जोड़ों के दर्द) के दर्द में भी आराम मिल सकता है। परिजात की कुछ पत्तियों और अदरक के साथ तैयार काढ़े के सेवन से सूखे कफ और दमे में भी आराम मिल सकता है।
फोटो के लिये धन्यवाद: herzindagi(dot)com
सादर
जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा जय जिनेंद्र सदा
कृपया इस लेख के बारे में अपने विचार और सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें, सादर जय बाबा जय जिनेंद्र सदा 🙏🌈🌈💐💐🙏
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत–बहुत धन्यवाद, जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा, जय जिनेंद्र सदा 🌻🌻💐💐
ReplyDeleteThank you sir ji for giving me best ideas
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