स्कन्द पुराण के अनुसार एक बार जब माता पार्वती भ्रमण कर रही थीं तब मंदराचल पर्वत पर माता पार्वती के पसीने की एक बूँद गिरी जिससे एक पेड़ की उत्पत्ति हुई जिसे बिल्व अथवा बेल के नाम से जाना जाता है। बेल के पूरे पेड़ पर माता पार्वती के रूपों का वास माना जाता है और बेल के जड़ों में माता गिरिजा का वास जाता है। इसी कारण बेल का पेड़ भगवान शिव को प्रिय माना गया है। बेल के तीन पत्रों का समूह को ब्रम्हा, विष्णु और शिव माना जाता है। ऐसे तीन पत्रों के समूह को शिव भगवान के त्रिशूल अथवा त्रिनेत्र भी माना जाता है। हाँलाकि, पाँच पत्रों के समूह को और भी पवित्र माना जाता है।
बिल्व के पेड़ को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर, पवित्र तथा पूज्यनीय माना जाता है। बेल के पत्र को भगवान शिव को चढ़ाया जाता है जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
बेल के पेड़ के विभिन्न भाग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपयोग में आते हैं। बेल के फल भी श्रेष्ठ औषधि होती है।
*बेल फल का पोषक मान:*
बेल के फल में 61.5 ग्राम नमी, 1.8 ग्राम प्रोटीन, 0.3% ग्राम वसा, 1.7 ग्राम खनिज तत्व, 2.9 ग्राम रेशा, 31.8 ग्राम कार्बोज़ (कार्बोहायड्रेट), 137 किलो कैलोरी ऊर्जा (एनर्जी), 85 मिली ग्राम कैल्शियम, 50 मिलीग्राम फॉस्फोरस, 0.6 मिलीग्राम लौह तत्व 55 माईक्रोग्राम कैरोटीन (विटामिन ए हेतु), 0.13 मिलीग्राम थायमिन, 0.03 मिलीग्राम रायबोफ्लेविन, 1.1 मिलीग्राम नियासिन और 8 मिलीग्राम विटामिन सी होता है।
*बेल के कच्चे फल के गुण:*
बेल का कच्चा फल, लघु (पचने में हल्का) रुक्ष (रूखा) तथा उष्ण वीर्य (गर्म तासीर) का होता है। इसका स्वाद कसैला (ऐसे स्वाद के आहार से जीभ ऐंठती है) तथा तिक्त (तीखा अथवा मिर्च के जैसा) होता है। किन्तु पका हुआ फल स्वाद में मीठा होता है।
किन्तु, बेल एक ऐसा विशिष्ट फल है जिसका कच्चे रूप की तुलना में पके रूप का सेवन अधिक किया जाता है।
लघु तथा तिक्त रस का होने के कारण यह फल कफ को कम करता है तथा उष्ण वीर्य तथा कसैला स्वाद होने के कारण यह वात संबंधी समस्या को कम करता है। बेल फल शरीर में अच्छे पित्त को बढ़ाता है तथा यह दीपन [अग्निवर्धक (कार्मिनेटिव)], पाचक तथा ग्राह्य (मल को बाँधनेवाला) भी है अतः पाचन तथा पेट संबंधी समस्याओं में लाभकारी है। जिनके शरीर में अथवा शरीर के अंदर आँतों में अथवा मलद्वार में सूजन रहती है उनके लिए भी बेल का फल फायदेमंद होता है। यह धातुओं को भी बल प्रदान करता है।
मलमार्ग, मूत्रमार्ग से, उल्टी के साथ, गर्मी के कारण नाक से खून बहना यह रोकता है क्योंकि यह रक्त स्तंभक अर्थात रक्त को रोकने में लाभकारी होता है। उल्टी, दस्त, गैस बनना, गैस के कारण पेट फूलना तथा पेट दर्द में भी यह लाभकारी होता है।
चूँकि बेल, वात को संतुलित करता है अतः नींद लाने में भी सहायक होता है। बार बार आने बाल बुखार को कम करने में तथा वजन को कम करने में भी लाभकारी है।
यह स्नायु तंत्र (नर्वस सिस्टम) के लिए अत्यंत फायदेमंद है तथा शरीर में शर्करा के स्तर को संतुलित (डायबिटीज़) रखने में मदद करता है क्योंकि यह हाइपोग्लाइसैमिक है। बेल का फल शरीर में कफ को कम कर के भी शरीर में शर्करा का प्रबंधन करता है। जिन लोगों को रात में बार-बार मूत्र त्याग करने के लिये उठना पड़ता है तथा इस कारण नींद में व्यवधान उत्पन्न होता है, ऐसे लोगों के लिये बेल के फल के सेवन के द्वारा शरीर में शर्करा को संतुलित कर इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है । बेल के फल में एंटी वायरस है एंटी फंगल गुण विद्यमान भी हैं।
*बेल फल के सेवन का तरीका:*
1. खाना खाने से पूर्व 2 से 5 ग्राम बेल पाऊडर का सेवन किया जा सकता है।
2. बेल के फल को फोड़ कर भी इसका गूदा खाया जाता है। किवदंति है कि बेल के फल को ज़मीन पर नहीं फोड़ा जाता है बल्कि लकड़ी के पाटे अथवा लकड़ी पर ही इसे फोड़ा जाता है अन्यथा फल अत्यधिक कड़वा हो जाता है।
3. बेल का शर्बत, बेल के मुरब्बे का सेवन भी प्रचलन में है।
*बेल का फल खाने का समय:*
परंपरागत तरीके से इस फल को बैसाख के महीने में खाना अनुशंसित है।
*बेल के फल का परिरक्षण *
बेल के फल को लंबे समय तक खाने योग्य अवस्था में रखने के लिये (परिरक्षित रखने के लिये) शुष्क चूर्ण (पाऊडर), मुरब्बा और शर्बत बनाया जाता है। आपके सुझाव बहुमूल्य हैं।
*कृपया ध्यान दें:*
1.कृपया लेख के बारे में, अपने विचार , नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में अवश्य अंकित करें।
2. उपरोक्त लेख सूचनार्थ सादर प्रस्तुत है।
*सादर प्रियतम अवतार मेहर बाबा की जय जय जिनेंद्र सदा*
🙏🏻😇😇🌈🌈🙏🏻
Thank You for writing.
Please keep in touch.
Avtar Meher Baba Ki Jai
Dr. Chandrajiit Singh
बहुत ही उपयोगी जानकारी देने के लिये 🙏धन्यबाद हमारे यह यह फल का वृक्ष्य उपलब्द हैं🍀
ReplyDeleteआपको सादर जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा जय जिनेन्द्र सदा, प्रोत्साहन के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया अपना नाम और पता अवश्य भेजें, सादर जय बाबा जय जिनेन्द्र सदा 💐💐
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