यदि खाने का समय हमारे शरीर की जैविक घड़ी के अनुसार तय हो पाचन बेहतर ढंग से हो पाता है। हमारी पाचन क्रिया में क्रियाशील पाचक रस, जैविक घड़ी के अनुसार निश्चित समय पर ही उत्सर्जित होते हैं
यदि इस समय पेट में भोजन है तो उसका पाचन प्रारम्भ हो जाएगा। यदि इस समय भोजन अनुपस्थित है तो पाचक अम्ल, एसिडिटी और खट्टी डकारें पैदा करेगी।
समय के बाद जब आहार किया जाएगा तब तक पाचन क्रिया का समय निकल चुका होगा अतः रसों का स्त्राव आवश्यकता अनुसार नही होगा और भोजन ठीक प्रकार से नहीं पच पायेगा और बदहज़मी होगी।
इसलिए खाना तय समय पर ही करें जिससे पाचन की क्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके। भीखम बाबा कहते हैं की पेट साफ़ रहे, क्योंकि पेट साफ़ रहेगा तो बुद्धि निर्मल रहेगी। बुद्धि निर्मल रहेगी तो निर्णय सही होंगे और निर्णय सही होंगे तो सफलता कदम चूमेगी।
शुभकामनायें...
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