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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मन संभालें खाने से पहले


खाना बनाते समय, खाना बनने वाले कि मनःस्थिति का सीधा असर बनते हुए खाने और उस खाने को खाने वाले पर पड़ता है. अतः परिवार के सदस्यों की शान्ति और उन्नति के लिए खाना प्रसंन्नातापूर्वक और सेवा भाव से पकाना और परोसना चाहिए.......
रीवा जिले में पदस्थ स्वछता विभाग के प्रमुख श्री संजय पाण्डे के सानिध्य का अवसर खजुराहो जाते हुए प्राप्त हुआ।खाने के प्रभाव के बारे में बात शुरू हुई तो आपने एक वृत्तान्त सुनाया. श्री संजय पण्डे के मित्र की गृहस्थी शांतिपूर्वक चल रही थी।
कुछ दिन बाद, अचानक ही उनके घर में अशांति का माहौल फैलने लगा. इस माहौल से परेशान हो कर उन्होंने अपने गुरु जी से अपनी परेशानी का ज़िक्र किया. तब गुरूजी ने कहा कि घर में जो खाना पकाता है उसकी मनःस्थिति के बारे में पता लगाओ।
इन सज्जन ने घर पर खाना पकाने के लिए एक कुक लगायी थी जिससे पूछने पर पता लगा की रोज़ सुबह वह अपनी पति से झगड़ कर आती थी और इसी मनोदशा में खाना पकाती थी.
गुरूजी के आदेशानुसार इस कुक को पूरी तनख्वाह और इस वादे के साथ कि उसे जब भी कोई ज़रूरत हो तो वह निःसंकोच संपर्क करे, विदा किया गया.
इसके बाद कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक तरीके से घर में फ़िर शान्ति बहाल हो गई.

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