अभी शरद ऋतु चल रही है। शरद ऋतु में दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं अतः दिन में बाहर कम से कम निकलें। यदि दिन में बाहर जाना हो तो सिर ढक कर निकलें। रात की ठंडक में बाहर निकलने से पित्त दोष संतुलित होता है इस ऋतु में प्रकृति में तीन प्रकार के दोषों में से पित्त (वायु एवं अग्नि महाभूत से निर्मित) दोष प्रकुपित रहता है तथा कफ दोष का शमन होता है। पित्त दोष प्रकुपित होने के कारण कुछ लोगों को हल्का ज्वर सिर दर्द, पेट खराब, उल्टी, दस्त और खट्टी डकार जैसी समस्या हो सकती है।
अतः पित्त दोष को संतुलित रखने के लिये शरद ऋतु में मीठे, कड़वे और कसैले स्वाद के आहार का सेवन करना चाहिये तथा खट्टे, नमकीन और तिक्त (मिर्च) स्वाद वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिये।
शरद माह का दूसरा माह कार्तिक भी प्रारंभ हो चुका है, परम्परागत तथा अनुभवजन्य ज्ञान के अनुसार कार्तिक माह में करेले का सेवन हितकर होता है तथा मही के सेवन का निषेध है,
*सादर*
*जय बाबा*
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*नोट:*
यह अनुशंसा मात्र स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिये है एवं यह अनुशंसा किसी भी प्रकार का उपचार नहीं है। कृपया किसी भी प्रकार के उपचार हेतु प्रमाणित चिकित्सक से राय लें।
*सादर जय बाबा*
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*संकलन एवं प्रेषण:*
डॉ. किंजल्क सी. सिंह एवं डॉ. चन्द्रजीत सिंह, वैज्ञानिक दल सहित, कृषि विज्ञान केंद्र, रीवा (म.प्र.)
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आदरणीय,
जवाब देंहटाएंआपको यह पोस्ट कैसा लगा, कृपया कमेंट बॉक्स में लिख कर अवश्य बतायें, सादर जय बाबा 💐💐
बहुत ही उपयोगी जानकारी,जय बाबा💐
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय भैया, प्रियतम अवतार मह
जवाब देंहटाएंमेहेरबाबा सदा कृपा करें, जय बाबा जय जिनेन्द्र सदा💐💐
बहुत बहुत धन्यवाद आदर्णीय
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद भैया, आपको सपरिवार दीपावली मुबारक हो। प्रियतम अवतार मेहेरबाबा सदा कृपा करें जय बाबा जय जिनेन्द्र सदा 💐💐
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