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मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

हेमंत ऋतु में आहार-विहार का आयुर्वेदिक एवं अनुभवजन्य परामर्श

आयुर्वेद को वैदिक ग्रंथ माना गया है. लगभग 2000 से 5000 वर्ष पूर्वलिखित इस ग्रंथ को इतिहासकार अथर्ववेद का भाग मानते हैंहाँलाकि अथर्ववेद से पूर्व लिखित ऋगवेद में भी रोग तथा औषधीय पौधों का उल्लेख मिलता है. आयुर्वेद को, भारत में लिखित चार वेदऋगवेदसामवेदअथर्ववेद एवं यजुर्ववेद के अतिरिक्त एक उपवेद माना गया हैजिसमें वर्णित सिद्धांतों के अनुसार यदि आहार-विहार में पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखा जाये तो मनुष्य, प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवनयापन करस्वस्थ्य रह सकता है.


 हेमंत ऋतु मेंआहार-विहार सम्बंधी आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आपके और आपके परिवार के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है .


आयुर्वेद के अनुसार वर्ष में छह ऋतुयें (हेमंतशिशिरवसंतग्रीष्मवर्षा तथा शरद) होती हैं और प्रत्येक ऋतु में दो माह होते हैं. हेमंत ऋतु प्रारम्भ हो चुकी है तथा हेमंत माह का प्रथम माह अगहन तथा द्वितीय माह पौष (पूस) होता है. वर्तमान में, अगहन माह प्रारम्भ हो रहा है. अगहन माह से वातावरण में तापमान कम होने लगता हैऔर ठंड बढ़ जाती है. पौष (पूस) माह में ठंड और  बढ़ जाती है.


इसी प्रकारजितने भी प्रकार के आहार हैंवे छह प्रकार के रसों में वर्गीकृत (बँटे हुये हैं) हैं. हेमंत ऋतु को छोड़करप्रकृति मेंबाकी सभी ऋतुओं (शिशिरवसंतग्रीष्मवर्षा तथा शरद) में किसी न किसी रस के सेवन की मनाही होती है, किन्तु  हेमंत ऋतु में समस्त रसों (मीठानमकीनखट्टाकड़वाकसैला और तीखा) के आहार का सेवन करना चाहिये. यह बात विशेष है किपूरे वर्ष मेंसिर्फ हेमंत ऋतु ही है जिस ऋतु में पूरे छह प्रकार के आहारीय रसों का सेवन किया जा सकता है.  इस ऋतु की विशेषता यह भी है कि इस ऋतु में जठराग्नि भी पूरे  वर्ष में सर्वाधिक प्रबल होती है. इसलिये गुरु प्रकृति (गरिष्ठ आहार) का भोजन भी सरलता से पच जाता है. अतः हेमंत ऋतु सर्वाधिक (सबसे अधिक) स्वास्थ्यवर्धक ऋतु मानी जाती है. दूसरी ओर प्रकृति में लगभग हर प्रकार की सागसब्ज़ीफलफूलअनाजदलहनतिलहनदूधदूध से बनने वाले व्यंजन और मेवे इत्यादि बाहुल्य में और कम दाम में उपलब्ध होती है.


किन्तुहेंमत ऋतु में मौसम ठंडा और रूखा होता है अतः शरीर को संतुलित करने के लिये ठंडी तासीर (शीत वीर्य) और कम तापमान के (ठंडा) आहार और मसालों कातथा पचने में हल्के और रूखे आहार का सेवन नहीं करना चाहिये बल्कि गर्म तापमान का आहारगुरु (पचने में थोड़े भारी) और स्निग्ध (चिकनाईयुक्त) आहार का सेवन करना चाहिये.


अगहन माह में पारंपरिक एवं अनुभवजन्य आहारीय परामर्श:

हेमंत ऋतु के प्रथममाहअगहन में वातावरण का तापमान कम होने लगता है तथा रूखापन बढ़ने लगता है. इस ऋतु में स्निग्ध आहार का उपयोग करें अर्थात तिलहन जैसे मुँगफलीतिलअलसीसोयाबीनसूरजमुखीजैतून इत्यादि तथा इनके तेल में तले हुये व्यंजनों का सेवन करें. ध्यान रखें कि अगहन माह में ज़ीरे का सेवन नहीं करें क्योंकि ज़ीरा रुक्ष अर्थात रूखा होता है. इसी प्रकार इलायचीदालचीनीऔर पुदीना इत्यादि का सेवन भी इस ऋतु में नहीं करें क्यों कि इन मसालों की भी तासीर ठंडी होती है. इस  ऋतु में गर्म तासीर के मसालों का उपयोग करें जैसे काली मिर्च,  मिर्चधनासौंफअदरक,  सोंठ,  केसर और हल्दी इत्यादि.


पौष (पूस) माह में पारंपरिक एवं अनुभवजन्य आहारीय परामर्श:

हेमंत ऋतु का द्वितीय माह पौष (पूस) होता है. यह माह अगहन माह की तुलना में अधिक ठंडा होता है. इस मास में भीअगहन माह की ही तरह ही स्निग्ध आहार का सेवन  करें अर्थात तिलहन तथा तले हुये व्यंजनों का सेवन करें क्योंकि ठंड का मौसम रूखा होता है . ध्यान रखें कि पौष (पूस) माह में दूध का सेवन करें किंतु धने (धनिया मसाले) का सेवन नहीं करें. पारंपरिक रूप से ज़ीरे के सेवन की मनाही नहीं है क्योंकि, हालाँकि, ज़ीरा रूक्ष होता है, फिर भी, ज़ीरा  गर्म होता है अतः पौष माह में इसका सेवन किया जा सकता है।


हेमंत ऋतु के अगहन तथा पौष (पूस) मास हेतु पारंपरिक एवं अनुभवजन्य विहारीय परामर्श: 

अगहन तथा पूस मास में शरीर में उबटन लगायेंसरसों/ तिल के तेल की मालिश कर धूप तापेंफिर गुनगुने / गर्म पानी से स्नान करें. नाभि में भी सरसों का तेल लगायें ऐसा करने से शरीर गर्म रहेगा तथा खाँसी तथा ज़ुखाम होने की संभावना कम हो जायेगी. अब शरीर को सूखी तौलिये से पोंछने के पश्चात गर्म वस्त्र धारण (स्वेटरमफलरटोपीदस्ताने और मोज़े आदि) धारण करें. ठंडी वायु के सम्पर्क में आने से बचें.

 

ध्यान रखें:

चूँकि हेमंत ऋतु में वातावरण में तापमान कम होने लगता हैऔर वायु रूखी होने लगती है. अत: ऐसे मौसम में पहले से वात से प्रभावित व्यक्ति अथवा ५० वर्ष से अधिक की उम्र के व्यक्ति वात दोष से अधिक प्रभावित होते हैं.  ऐसे व्यक्तिवात में वृद्धि करने वाले आहार जैसे तीखेकड़वे एवं कसैले रस वाले रूखे एवं लघु (पचने में हल्के) आहार का सेवन नहीं करें. बल्कि मीठेखट्टे और नमकीन रस वाले स्निग्ध एवं गुरु (गरिष्ठ) आहार का सेवन लाभकारी होगा. यदि गरिष्ठ आहार के पाचन में कठिनाई आये तो भोजन के पूर्व अदरक के टुकड़े में सेंधा नमक लगा कर चबा कर सेवन करें फिर आहार ग्रहण करें.


गर्म तासीर (ऊष्ण वीर्य) के आहार:

ठंड के दिनों में जब वातावरण का तापमान कम होता है तब आहार के निम्नलिखित अव्यवों का सेवन लाभकारी होता है:


मेवे:

बादाम त्रिकोण फल (ब्राज़ील नट) काजूकिशमिश (बिना पानी में फुलाई हुईसूखी हुई)अखरोटशाहबलूत (चैस्ट नट), पिंगल फल अथवा पहाड़ी बादाम (हेज़ल नट)मुँहफलीतिल के बीज (दाने)सूरजमुखी की बीजपिस्ता और मेवा (बिना पानी में फुलाया हुआ और बिना छीला हुआ).


मसाले: 

काली मिर्चमिर्चधना (धनिये का बीज)ज़ीरासौंफमेथी दानाजावित्रीतेज़ पत्ताअदरकसोंठकेसरहल्दीअजवाईनजायफलबड़ी इलायचीहींग और पीपली।


तेल: 

सूरजमुखी का तेलमक्के का तेलसरसों का तेल, मुँहफली  का तेल, जैतून का तेलअखरोट का तेलतिल का तेल, कुसुम का तेल (सैफफ्लावर तेल) और अलसी का तेल।


घी: 

देशी गाय के दूध से बना घी।


अनाज एवं मोटा अनाज:  

कुट्टू (बकव्हीट)जईबिना पॉलिश अथवा कम पॉलिश किया हुआ भूरा चावल (ब्राऊन राईस)बाजरामक्काराई और मोटा अनाज।  


दालें: 

अरहर,  उड़द, नेवी बीन, भूरी मसूर, राजमा और मीज़ो।


फल: 

सेब का रसपपीताचैरीसूखे फलचकोतरारसभरीकीवीनींबूबड़ा नींबू (लाईम)लीचीआमसंतरापंजा फल (पॉपॉ - एक तरह का पपीता जैसा दिखने वाला फल)आड़ू / रतालू (पीच)अनानासआलू बुखारा (प्लम)रसभरी (रैस्पबैरी)सैत्सुमा (एक प्रकार का संतरा)स्ट्रॉबैरीपकाया हुआ सेबखुबानी (ऐप्रिकॉट), ब्लैकबैरी (कृष्णबदरी)पका केलाकरौंदा (क्रैनबैरी)हरे अंगूर और चकोतरा।


सब्ज़ियाँ: 

हाथीचक (आर्टिचोक)बिना पकाया हुआ टमाटरपकाया हुआ टमाटरटमाटर का सॉसबैंगनशिमला मिर्चलहसुनहरा प्याज़ (लीक)प्याज़गाज़रमूली

मशरूमप्याज़सरसों का सागपार्सनिप (गाज़र की तरह सफेद रंग का मूल)मिर्चस्वीड (एक प्रकार का शलजम)परवलशलजमचुकंदरस्वीट कॉर्नजलकुम्भी (वॉटरक्रेस)ब्रसल स्प्राऊट गोभीबरडॉक जड़ (बरडॉक रूट) और जैतून।


दूध एवं दुग्ध उत्पाद: 

गाढ़ा दूध (कंडैंस्न्ड दूध)क्रीमअंडे का पीला भागसोया दूध और मेयोनेज़ (एक प्रकार का मक्खन)छाछदही, (ध्यान रखें कि छाछ और दही का सेवन ग्रीष्म ऋतु में अधिक लाभकारी होता है)।  


पेय पदार्थ: 

कॉफीचायकोला,  गर्म चॉकलेटनींबू का शर्बतमॉल्ट का रस (अंकुरित और भुने जौ का रस) और सन्तरे का रस।


मीठा: 

शहदखार (मार्मिट)पुडिंग (आटे अथवा मैदे को बेक (सेंकना) कर के अथवा उबाल कर बनाया गया मीठा व्यंजन)सफेद शक्करभूरी शक्कर अथवा खाँडदेसी गुड़ और पिंड खजूर (प्रसंस्कृत अथवा तैयार किया गया)।


अन्य आहारीय अवयव: 

बबूल का गोंदविभिन्न प्रकार के अचारनमकधूँये  से उपचारित आहार (स्मोक्ड फूड)सिरकाखमीर (यीस्ट)बिस्कुटकेकचॉकलेट और जैम। 


शीत वीर्य (ठंडी तासीरके मसाले और आहार :

हेमंत ऋतु में जब वातावरण का तापमान काम होने लगता है और ठंड बढ़ने लगती है तब आहार के निम्नलिखित अव्यवों का सेवन लाभकारी होता है।


मेवे: 

कुम्ड़ाह की बीजबादाम (पानी में फुलाया हुआ तथा छिलका उतारा हुया) एवं नारियल और खजूर का फल और भीगी (पानी में फुलाई हुई) किशमिश।

 

मसाला: इलायचीदालचीनीलौंगपुदीना और नारियल।


तेल : 

नारियल का तेलतिल का तेल और वनस्पति तेल।


अनाज एवं मोटा अनाज तथा इनसे तैयार उत्पाद:  

जौजवाकिनोवाफलियाँब्राऊन ब्रैड (गेहूँ से बनी डबल रोटी)सफेद ब्रैड (मैदे से बनी डबल रोटी),  सफेद चावलपीला चावलगेहूँराजगीर एवं टैपिओका।


दालें: 

मूँग दाल, लाल मसूर, पिंटो बीन, सोयाबीनअंकुरित दालें और सफेद सेम (व्हाईट बीन)।


फल: 

स्ट्रॉबैरीअंगूर (लालबैंगनी / काले)तरबूज़खरबूज़नाशपाती (ऐवोकैडो)अंजीरअनाररभर्ब (रेवाचीनी)सेबऐवोकैडो (एक प्रकार की नाशपाती)नाशपाती (पियर)केलाबेलसिंघाड़ाजामुनइमलीकिशमिश और खजूर का फल (जिसका प्रसंस्करण नहीं किया गया है)।


सब्ज़ियाँ: 

आलू,, भिंडीफ्रैंच बीनमटर,  शतावर,  फलियाँब्रौकली (हरी गोभी)पत्ता गोभीफूल गोभीकेल गोभीबेल वाली सब्ज़ियाँ (जैसे तुरईकुम्ड़ाहस्क्वॉश और ज़ुकनी आदि)पालकधनिया पत्तीलैटस (सलाद पत्ता)अजवाईन पत्ता अथवा अजमोद पत्ता (सलाद)खीराककड़ी और करेला (भावप्रकाश के अनुसार अहिमा अर्थात कयदेव निघंटु के अनुसार न गर्म न ठंडाग़र्म तासीर: भोजन कतुहलम के अनुसार)।


दूध एवं दुग्ध उत्पाद: 

गाय का दूधबिना मलाई का दूधमक्खनबकरी का दूधचीज़अंडे का सफेद भागगाय के दूध से बना घीआईस क्रीममार्जरीन और योगर्ट (एक प्रकार का दही)।


पेय पदार्थ: 

नारियल का पानी।


मीठा: 

मिश्री।


अन्य आहारीय अवयव: 

गोंद कतीरा।


संदर्भ:

१.   वागभट्ट ऋषि द्वारा लिखित अष्टांग हृदयसूत्रस्थान का तीसरा अध्यायऋतुचर्या अध्याय ।

२.   ऋषि चरक द्वारा लिखित चरक संहिता सूत्र स्थान का छँटवा अध्यायत्स्याशितीय अध्याय ।

३.   Youtube/ayurvedaforeveryone.com

४.   Youtube/easyayurveda.com

५.   https://www.banyanbotanicals.com/


सादर जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा जय जिनेंद्र 


1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय पाठकों
    सादर जय बाबा,
    यह लेख आपको हेमंत ऋतु में उचित आहार के चयन में सहायता करेगा, इस उद्देश्य के साथ लिखा गया है।
    आपके विचारों,सुझावों और प्रतिक्रियाओं का स्वागत है जिसे आप कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें।
    पूरे परिवार को नववर्ष मुबारक हो,
    प्रियतम अवतार मेहेरबाबा सदा कृपा करें,
    जय बाबा, जय जिनेन्द्र सदा !!!!!

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