परिवर्तित होती उम्र, व्यक्तिगत प्रकृति, अनुवांशिकी और ऋतुओं के प्रभाव से जठराग्नि कम या अधिक हो सकती है जिसका
प्रभाव पाचन पर और पाचन का प्रभाव शरीर के वजन पर पड़ता ही ।
शारीरिक वजन को कम करने
के कुछ उपाय जिनका उल्लेख आयुर्वेद में हैं वे इस तरह हैं :
1.नये चावल का सेवन नहीं करें
बल्कि कम से कम एक वर्ष पुराने चावल का सेवन करें । यदि नये चावल का सेवन करना ही
हो तो पहले नये चावल को भून लें फिर खुले बर्तन में पकाने के बाद, माड़ हटा कर इसका सेवन करें। ऐसा चावल पचाने में हल्का होता है । चावल का
सेवन दिन में करें ।
2.गेहूँ स्निग्ध (फैट) होता है
अतः मोटा अनाज और लघु धान्य जैसे ज्वार, जौ और बाजरा
इत्यादि की रोटी पर गाय का शुद्ध देसी घी लगा कर सेवन करें ।
3.मनुष्य का शरीर पंच तत्व जैसे
पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश तथा वायु से बना है । इन तत्वों में से पृथ्वी तत्व सर्वाधिक भारी
होता है । वजन, कफ दोष के कारण बढ़ता है। कफ, पृथ्वी तथा जल तत्व से बनता है। वजन कम करने के लिये पृथ्वी तत्व को कम
ग्रहण करना चाहिये । अनाज, पृथ्वी तत्व से बना है ।
इसका अर्थ यह है की वजन कम करने के लिये अनाज का सेवन नहीं करें अथवा कम से कम
स्निग्ध अनाज जैसे गेहूँ का सेवन कम करें । इनके स्थान पर बिना माड़ का खुले बर्तन
में बना चावल अथवा मोटे अनाज अथवा लघु धान्य से बनी रोटी में देसी गाय के दूध से
बना घी लगा कर सेवन किया जा सकता है । अनाज के स्थान पर पत्तियों का रस, सलाद, फल, अंकुरित
दालें और दाल और दाल से बने व्यंजन इत्यादि का सेवन किया जा सकता है ।
4.वजन, कफ दोष के कारण होता है। मीठे, खट्टे और नमकीन
खाद्य पदार्थ के सेवन से शरीर में कफ बढ़ता है जिससे वजन बढ़ता है अतः इन तीन
स्वाद के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें ।
5.कड़वे (जैसे मेथी दाना, करेला और कड़वी नीम इत्यादि), कसैले (जैसे
आँवला और जामुन आदि) और तीखे (जैसे मिर्च) रस के खाद्य पदार्थ से शरीर में कफ कम
होता है अतः वजन भी कम होता है ।
6.पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले
खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे, देसी गाय के दूध से बना घी, दही, मट्ठा, चटनी, अचार
और पापड़ जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में सम्मिलित करें ।
7.सूर्यास्त के पूर्व भोजन कर लें
। रात्रिकाल की तुलना में सूर्य भगवान की उपस्थिति में मनुष्य की जठराग्नि प्रबल
होती है तथा इस कारण भोजन सरलता से पच जाता है ।
8.शरीर में कफ को नियंत्रित करने
के लिये पानी को उबालें, ठंडा करें और 1 गिलास पानी में 1 चम्मच शहद मिला कर सेवन
करें । यदि शहद का सेवन नहीं करते हों गुड़ का सेवन कर सकते हैं ।
9.शहद के स्थान पर दही के पानी का
सेवन भी सुबह कर सकते हैं ।
10. आधुनिक पोषण विज्ञान के
अनुसार पिसी गेहूँ (वह गेहूँ जिससे रोटी बनती है) में ग्लूटन नामक तत्व होता है जो
कि वजन बढ़ने के लिये उत्तरदाई होता है, किंतु कठिया गेहूँ (जिससे सूजी और दलिया बनता है)
में ग्लूटन की मात्रा सीमित होती है अत: वजन प्रबंधन हेतु पिसी गेहूँ के स्थान पर कठिया
गेहूँ से बने व्यंजन का सेवन करना अच्छा होगा ।
11.उचित मात्रा में मौसमानुकूल
टहलें, व्यायाम, योगासन, ध्यान, और पूजन करें ।
12.प्रतिदिन अच्छी और पूरी नींद
लें ।
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सादर
जय
बाबा जय जिनेंद्र सदा
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