*जय माँ शारदा*
*नवरात्रि की बधाईयाँ और शुभकामनायें कृपया स्वीकार हों,*
बसंत ऋतु में शरीर में कफ प्रकुपित रहता है जिस कारण खाँसी, ज़ुखाम, कफ, साँस लेने में तकलीफ, अपच और अजीर्ण होता है। इन तकलीफों से बचने के लिये कफ को नियंत्रित करना तथा कुछ सावधानियाँ बरतना आवश्यक है।
नवरात्रि में आयुर्वेदिक तथा आधुनिक पोषण आहार के अनुसार निम्नलिखित उपाय अपनाना लाभकारी होगा -
1.नीम की कड़वी गोलियों का सेवन करें : नवरात्रि के प्रत्येक दिन सुबह खाली पेट कड़वी नीम की कोपलों (नई पत्तियों) की छोटी छोटी दो गोलियाँ (6 से 7 पत्तियाँ, थोड़ा सा सेंधा नमक और 3 काली मिर्च को पीस कर,एक से दो गोली तैयार करें) प्रति व्यक्ति सेवन करें। नीम के कड़वे स्वाद से, शीत काल में शरीर में एकत्रित कफ समाप्त होने में सहायता मिलेगी।
2.उपवास, फलाहार अथवा अल्पाहार करें : कफ, पृथ्वी (अनाज) तथा जल (पानी) महाभूत से निर्मित होता है। अतः कफ को हटाने के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्जला व्रत होता है। यदि निर्जला व्रत करना सम्भव नहीं हो तो अनाज, दलहन और तिलहन का सेवन नहीं करें।सिर्फ फलाहार, फलों के रस इत्यादि का सेवन करें।
3. इन स्वाद के आहार का सेवन करें : मीठे, खट्टे और नमकीन आहार का सेवन नहीं करें अथवा कम करें ताकि शरीर में कफ नहीं बनें बल्कि कड़वे, तीखे और कसैले आहार का सेवन करें जिससे शरीर में कफ कम हो सके।
4. भुने अथवा सिंके आहार उत्तम हैं : तले आहार और तिलहन का सेवन नहीं अथवा कम सेवन नहीं करें बल्कि भुने और सिंके आहार का सेवन करें।
5. सात्विक आहार श्रेष्ठ : सात्विक आहार का सेवन करें, तामसिक आहार का सेवन नहीं करें। सात्विक आहार पचने में सरल, हल्का, ताज़ा शाकाहार होता है जो कि सतो गुण प्रधान होता है तथा इच्छाओं को कम कर विवेक को जागृत करता है। तामसिक आहार गरिष्ठ, बासी, माँसाहार, खमीरयुक्त आहार, मद्य और नशीले पदार्थ, तमो गुण प्रधान आहार जो इच्छाओं को बढ़ाने वाला होता है तथा विवेक को समाप्त कर क्रोध बढ़ाने वाला होता है।
6. गुनगुना जल श्रेष्ठ : नवरात्रि में गुनगुने जल का सेवन करें।
7.वैज्ञानिक दृष्टिकोण : वैज्ञानिक रूप से शारदेय नवरात्रि तथा चैत्र नवरात्रि के समय मौसम में परिवर्तन हो रहा होता है । शारदेय नवरात्रि में वर्षा और चिपचिपी गर्मी से ठंड या रही होती है तथा चैत्र नवरात्रि में ठंड से गर्मी का मौसम आता है । दोनों ओर मौसम के परिवर्तन के बीच नवरात्रि आती है । नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान तापमान और नमी सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के अनुकूल होता है जिस कारण वातावरण में सूक्ष्मजीवों की संख्या अधिक होती है जो की आहार और पे जल को दूषित कर सकते हैं । अतः घर पर ही साफ सफाई से बने ताज़े, हल्के सुपाच्य, बिना खमीर के आहार का सेवन करें । इन नौ दिनों में अचार इत्यादि नहीं बनायें।
8.साफ़-सफ़ाई का ध्यान: शरीर की, वस्त्रों की, घर की तथा घर के आसपास की सफाई का विशेष ध्यान रखें ।
9. आहार-विहार और व्यवहार : आहार-विहार और व्यवहार को संयमित, विवेकपूर्ण तथा सौम्य रखें । स्नान, ध्यान, पूजन, प्राणायाम तथा योगासन करें । प्रसन्नचित्त रहें । धूप में निलते समय धूप का चश्मा लगा कर और कानों को गमछे से ढककर निकलें । धूप से लौटकर तुरंत पंखे, कूलर और एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में नहीं बैठें और तुरंत पानी नहीं पीयें ।
*कृपया ध्यान दें:*
उपरोक्त उपाय शिशुओं, बच्चों, बुज़ुर्गों, गर्भवती बहनों, स्वास्थ्य लाभ ले रहे चिकित्सक की देखरेख में चल रहे भाई-बहनों को आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
यह संकलन मात्र सूचनार्थ है।
आग्रह:
कृपया लेखे के बारे में अपने विचार, नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में कृपया अवश्य लिखें और प्रोत्साहित करें ।
*सादर*
*प्रियतम अवतार मेहेरबाबा की जय जय जिनेन्द्र सदा, जी मेहरामेहर *
मान्यवर,
ReplyDeleteजय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा जय जिनेन्द्र सदा जय मेहेरामेहेर सदा,
लेख के बारे में आपके विचार जानने को हम उत्सुक हैं, कृपया इन्हें अवश्य कमेंट बॉक्स में अंकित करने की अभिव्यक्त करने की कृपा करें,
सादर
जय बाबा जय जिनेन्द्र सदा
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बहुत ही उत्तम जानकारी आपके द्वारा हर ऋतू परिवर्तन के समय हम सबको उपलब्ध कराई जाती है इसके लिए बहुत बहुत आभार सर 🙏🙏
ReplyDeleteप्रोत्साहन हेतु आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteसादर
जय प्रियतम अवतार मेहेरबाबा जय जिनेन्द्र सदा 💐💐