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वर्षा ऋतु में वातावरण में अधिक नमी तथा मध्यम तापमान होता है जिस कारण सूक्ष्मजीव अधिक पनपते हैं जो कि आहार तथा जल को प्रदूषित करते हैं। साथ ही, आयुर्वेद के अनुसार इस ऋतु में जठराग्नि सबसे मंद होती है जिसके फलस्वरूप यदि आहार विहार में थोड़ी सी लापरवाही बरती जाये तो पाचन खराब जो सकता है। पाचन दुरुस्त करने के लिये निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं :
सावधानियाँ तथा पाचन दुरुस्त करने की उपाय:
1.उबले पानी का सेवन करें। पानी जब उबलना प्रारम्भ हो उसके बाद 21 मिनट (लगभग आधा घंटा) और उबालें। फिर पानी को ठंडा कर स्वच्छ पात्र में रखें, जब आवश्यकता हो तब सेवन करें।
2. सिर्फ ताज़ा, तुरंत बने आहार का ही सेवन करें।
3. सादे तथा ठंडी तासीर के, घर की रसोई में बने भोजन का सेवन करें जैसे खिचड़ी। गर्म तासीर और गरिष्ठ तासीर के बने भोजन का सेवन नहीं करें जैसे दूध।
4. साबूदाने की खिचड़ी का सेवन अथवा कच्चे साबूदाने का सेवन और कच्चे केले का सेवन लाभकारी होता है क्योंकि इसमें स्टार्च होता है जो कि पानी को सोख कर पेट को बाँध देता है।
5.चावल (बिना पसाया हुआ, ऐसे चावल में स्टार्च विद्यमान होता है) और मूँग की दाल (सर्वाधिक सुपाच्य दाल, क्योंकि इस दाल में ट्रिप्सिन अवरोधी कारक सभी दालों में सबसे कम होता है साथ ही प्रोटीन उपस्थित होती है) से बनी खिचड़ी का सेवन, जब आवश्यकता हो तब करें।
6. यदि पाचन खराब हो तो कुछ-कुछ देर में, आवश्यकतानुसार स्वच्छ जल में तैयार नमक और शक्कर का घोल, अथवा स्वच्छ जल में तैयार ओ.आर.एस. के घोल का सेवन करते रहें।
7. व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें, हाथ और पैर के नाखून समय समय पर काटें, इन्हें छोटे और साफ रखें।
8. खाना बनाने, खाने के पहले और खाने ले बाद हाथों को स्वच्छ जल तथा साबुन से अच्छी तरह से धोयें।
9. जल्द से जल्द चिकित्सक से परामर्श लें
कृपया ध्यान दें :
उपरोक्त परामर्श मात्र आहार संबंधी हैं। चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाईयाँ समय पर लेते रहें।
आग्रह:
लेख संबंधी अपने विचार तथा सुझाव नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में अवश्य अंकित करें तथा प्रोत्साहित करें।
सादर
प्रियतम अवतार मेहेरबाबा की जय जय जिनेन्द्र सदा
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Thank You for writing.
Please keep in touch.
Avtar Meher Baba Ki Jai
Dr. Chandrajiit Singh
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