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Wednesday, March 29, 2023

टमाटर के प्रसंस्कृत एवं परिरक्षित उत्पाद (भाग-1)- टमाटर के केचप के निर्माण की विधि एवं लाभ

        टमाटर का केचप बीज एवं छिल्के रहित टमाटर के रस एवं गूदे, मसाले, सिरका, प्याज़ एवं लहसुन के अर्क (रस) तथा नमक एवं शक्कर से युक्त समान संरचना एवं मधुर तथा लाल रंग का सांध्र और चिकना परिरक्षित उत्पाद है । टमाटर केचप में टमाटर से प्राप्त ठोस पदार्थ 12 प्रतिशत या अधिक होना चाहिए एवं कुल ठोस पदार्थ 28 प्रतिशत होने चाहिये ।

        टमाटर का केचप भारत में अत्यन्त प्रचलित है एवं इस उत्पाद के प्रति किलो निर्माण में रू 25/- के लगभग आती है । जबकि बाज़ार में इस उत्पाद का मूल्य रू. 120/-  प्रति किलो के मध्य है । अतः इस उत्पाद का व्यवसायिक उत्पादन लाभकारी सिद्ध हो सकता है ।

केचप निर्माण का लाभ:

1.      केचप का निर्माण, टमाटर को परिरक्षित रखने की विधि है जिससे टमाटर लंबे समय तक खाने योग्य अवस्था में सुरक्षित रहता है और जब टमाटर की आवक अधिक होती है और टमाटर का मूल्य कम हो जाता है तब इस विधि को अपना कर आर्थिक हानि से बचा जा सकता है ।

2.      केचप एक स्वादिष्ट उत्पाद है जिसे घरेलू स्तर भी बनाया जा सकता है और आनंद लिया जा सकता है ।

मुख्य सामग्री :

        प्याज़ दो बड़े, लहसुन 3 कलियाँ, काली मिर्च 8 से 10, ज़ीरा 1/2 चाय का चम्मच, लौंग (बिना फूल के) 5-6, जावित्री जरा सी (2 टुकडे़) एवं लाल मिर्च पाउडर 1/2 चाय का चम्मच ।

विधि :

1.      बहते जल में दो मिनट तक टमाटरों  को अच्छी तरह धोयें । टमाटर के बड़े बड़े टुकड़े कर लें ।

2.      मोटे पेंदे एवं बड़े आकार के स्टेन लेस स्टील गंज में जल गर्म करें तथा स्वच्छ मलमल के कपड़े में टमाटर बाँध कर 5 मिनट तक डुबायें (ब्लान्चिंग)। इसके उपरांत जल निथार दें एवं टमाटरों को ठंडे पानी में कुछ देर रखें ताकि टमाटर शीघ्रतिशीघ्र ठंडे हो जायें ।

3.      टमाटर से छिल्के हाथ से उतारें एवं हरे, पीले एवं न खाने योग्य भाग को काट कर अलग करें । लाल खाने योग्य टमाटरों को मसल दें एवं छन्नी से छान कर 1 लीटर रस एवं गूदा प्राप्त करें।

4.      उपरोक्त दी गई मात्रा में मसाला पीस कर (मात्र पोटली की सामग्री) स्वच्छ, सफेद, मलमल (सूती) के स्वच्छ कपड़े में अच्छी प्रकार बांध पोटली बना लें ।

5.      टमाटर के रस एवं गूदे को धीमी आँच पर चढ़ाकर 3 ग्रा शक्कर मिलायें एवं तब तक उबालें जब तक कि प्रारंभ में ली गई रस एवं गूदे की मात्रा की तुलना में रस तथा गूदे की मात्रा एक तिहाई न रह जाये तदोपरान्त मसाले की पोटली को रस एवं गूदे में  डुबायें तथा पकायें ।

6.      बची हुई शक्कर एवं नमक की सम्पूर्ण मात्रा रस में मिलायें एवं तब तक पकायें जब तक कि प्राम्भिक मात्रा की तुलना में वर्तमान मात्रा एक तिहाई न रह जाये ।

7.      रस में सिरका मिलायें ।

8.      रस के मिश्रण को आँच से नीचे उतार कर पोटली को निचोड़े एवं रस से बाहर निकाल लें ।

9.      एक चुटकी सोडियम बैंज़ोयेट परिरक्षक सम्पूर्ण रस में मिलाये ।

10.  खाली बोतलों, ढक्कन एवं कॉर्क को अच्छी तरह बर्तन धोने के साबुन और स्वच्छ जल से धोयें । पन्द्रह मिनट के लिये  प्रेशर कुकर अथवा 30 मिनट गंज में उबलते जल में रखें एवं निर्जमीकृत (सूक्षम्जीवों को स्माप्त करना) करें ।

11.  निर्जमीकृत बोतलों को गुनगुने से गर्म जल में रखकर तैयार केचप को बोतल के मुँह  के पास थोड़ी जगह छोड़ते हुये भरें ।

12.  केचप से भरी बोतलों को 15 मिनट प्रेशर कुकर में अथवा 30 मिनट गंज में उबलते जल में रखें । जल की मात्रा इतनी लें  कि उबलने के दौरान जल बोतलों में प्रवेश न करे ।

13.  बोतलों का मुँह शीघ्र ही कॉर्क से बंद कर पिघला हुआ मोम जमा दें अथवा ढक्कन लगाने वाले यंत्र (क्राऊनिंग मशीन) से टिन का ढक्कन लगायें ।

14.  केचप के बोतलीकरण एवं बोतल के मुँह को बंद करने के उपरान्त बोतलों पर लेबल चिपका कर स्वच्छ एवं सुरक्षित स्थान पर रखें।

विशेष :

1.   केचप बनाने के लिये संकर प्रजाति के लाल और अधिक गूदे वाले टमाटर का ही उपयोग करे । बाज़ार में यह नासिक के टमाटर अथवा पेटी के टमाटर, अथवा गूदे वाले टमाटर के नाम से मिलते है ।

2.   यह गहरे लाल रंग के तथा लम्बे आकार के मज़बूत छिलके वाले गूदे युक्त टमाटर होते हैं । इनमें खटास लगभग न के बराबर होती है ।  अत: खटास के लिये सिट्रिक अम्ल अलग से मिलाया जाता है ।

3.   टमाटर का सूप एवं कॅाकटेल के अतिरिक्त टमाटर के सभी उत्पादों के लिये संकर प्रजाति के टमाटर ही उपयोग में लायें ।

4.   टमाटर के सूप तथा कॉकटेल बनाने के लिये देशी खट्टे टमाटर एवं संकर प्रजाति के टमाटर दोनों ही उपयोग में लायें । 

सावधानियाँ :

1.      टमाटर के उत्पाद बनाने हेतु मात्र स्टेनलैस स्टील के बर्तन एवं चाकू इत्यादि ही उपयोग करें ।

2.      उत्पाद स्वच्छ वातावरण में बनायें एवं उत्पाद बनाने वाला व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति सजग रहें ।

3.      नाखून काटें एवं हाथ साबुन से धो कर स्वच्छ तौलिये से पोछें ।

4.      उत्पाद बनाते समय बाल और चूड़ियाँ स्वच्छ कपड़े  से बाँधें ।

5.      उत्पाद भरने के पूर्व बोतलों का निर्जमीकृत करें एवं बोतल में उत्पाद भरने के उपरान्त बोतल सहित उत्पाद का संसाधन (उत्पाद सहित बोतल को गर्म करना) सावधानीपूर्वक करें ।

6.      बहते  हुये मीठे पानी का उपयोग खाद्य पदार्थ बानाने में तथा बर्तन धोने में करें । खारे पानी का उपयोग बिलकुल भी नहीं करें ।

7.      खाद्य पदार्थ, ज़मीन में बैठ कर नहीं बनायें बल्कि ज़मीन से ऊँचे प्लैट्फॉर्म अथवा टेबल पर ही

बनायें ।

8.      बादल वाले अथवा वर्षा वाले मौसम में खाद्य प्रसंस्करण बिलकुल भी नहीं करें ।

9.      खाद्य प्रसंस्करण वाले स्थल में अन्जान व्यक्ति तथा जीव का प्रवेश निषेध होना चाहिये ।

टमाटर के उत्पादों में होने वाली खराबियाँ, कारण एवं निराकरण :

1.      जल अलग होना :

उत्पाद को आवश्यकतानुसार न उबालने के कारण टमाटर के उपरोक्त उत्पादों को कुछ दिन रखने के उपरान्त उत्पाद से पानी अलग हो कर बोतल के मुँह के पास एकत्रित हो जाता है । उत्पाद को आवश्यकतानुसार उबालें एवं अतिरिक्त जल को सुखायें साथ ही चाहें तो टमाटर के उत्पाद में स्टेबिलाईज़र नाम का पदार्थ भी मिला सकते हैं, जिससे खाद्य पदार्थ से पानी अलग नहीं होगा ।

2.      काली अथवा भूरी पर्त बनना  :

जल अलग होने के कारण जल के ऊपर फफूँद की काली या भूरी पर्त बन जाती है एवं उत्पाद खाने के लिये अनुपयोगी हो जाता है। उत्पाद तैयार करते समय आवश्यकतानुसार उत्पाद को उबालें । बोतल का निर्जमीकरण, उत्पाद का संसाधन एवं बोतल की सीलिंग अच्छे प्रकार से करें । उत्पाद में परिरक्षक (सोडियम बेज़ोयेट) एक चुटकी प्रति किलो की दर से मिलायें ।

3.      उत्पाद का सड़ना :

खमीर एवं अन्य सूक्ष्मजीवों के कारण उत्पाद का रंग गहरा एवं उत्पाद फटे दूध के समान हो जाता

है । उत्पाद से दुर्गंध आने लगती है । इसके निराकरण हेतु काली अथवा भूरी पर्त बनने से रोकने हेतु किये गये निराकरण के उपाय अपनायें ।

केचप निर्माण का परीक्षण:

1.      कैचप निर्माण की पूर्णता के परीक्षण की जाँच गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है  जो कि निम्नानुसार है :

2.      साफ चीनी मिट्टी अथवा स्टील की प्लेट में, तैयार टमाटर के कैचप की २ से ३ बूँद ठंडी कर के डालें ।

3.      अब प्लेट को इतना तिरछा करें कि केचप प्लेट पर बहने लगे ।

4.      ध्यान से देखें यदि बूँद पानी को छोड़कर नहीं बहे तो समझें कि केचप पर्याप्त रूप से गाढ़ा हो कर तैयार हो चुका है । अब केचप को और पकाने की आवश्यकता नहीं है ।

5.      किंतु यदि प्लेट में केचप, पानी को छोड़ कर बहे तो केचप को कुछ देर और पकाने और गाढ़ा करने की आवश्यकता है ।

6.      केचप को दुबारा पकाने और गाढ़ा करने के बाद एक बार फिर से इस परीक्षण को दोहरायें ।

यू-ट्यूब चैनल का लाभ लें:

जवाहर किसान यू-ट्यूब चैनल पर कृषि एवं सम्बंधित विषयक विडियोज़ देखने के लिये कृपया नीचे दिये गये लिंक को क्लिक करें:

https://www.youtube.com/@jawaharkisan3514/videos

जय किसान यू-ट्यूब चैनल पर कृषि यंत्रों से सम्बंधित विडियोज़ देखने के लिये कृपया नीचे दिये गये लिंक को क्लिक करें:

https://www.youtube.com/@jaikisan6273

सादर जय मेहेरबाबा, जय जिनेंद्र सदा आपको सपरिवार !!!

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