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Wednesday, April 5, 2023

वसंत ऋतु के वैषाख माह हेतु आहार - विहार अनुशंसा

महर्षि चरक द्वारा रचित आयुर्वेद आधारित ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार वसंत ऋतु में चैत्र और वैशाख माह आते हैं । वसंत ऋतु के वैषाख माह में प्रकृति में कफ प्रकुपित होता है जिस कारण शरीर में हल्का दर्द हो सकता है, आलस्य होता है तथा नाक बहना, खाँसी और ज़ुखाम भी हो सकता है । चूँकि इस माह में जठराग्नि मंद होती है अत: पाचन कमज़ोर होता है । इस माह में पूर्व की तुलना में शारीरिक बल भी कम होता है । वैशाख माह की आहार - विहार  अनुशंसायें निम्नानुसार  हैं जिनका पालन कर हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं :

 आयुर्वेदिक अनुशंसा: 

1.      वैशाख माह में कफ दोष को शरीर में संतुलित करने के लिये कड़वे, कैसैले और तीखे स्वाद के आहार का सेवन करें ।

2.      इस माह में मीठे, खट्टे और नमकीन स्वाद के आहार का सेवन नहीं करें क्यों कि इस स्वाद के आहार कफ में वृद्धि करते हैं  ।

3.      इस माह में चूँकि जठराग्नि मंद रहती है अतः लघु आहार, जो पचने में सरल हों, का सेवन करें किंतु गरिष्ठ आहार का सेवन नहीं करें जो पचने में दुष्कर हों ।

4.      इस माह में उबले, सिंके अथवा भुने आहार का सेवन हितकर होता है किंतु तले हुये आहार तथा तिलहन का सेवन नहीं करना अथवा कम सेवन करना हितकर होता है ।

5.      इस माह में कम तापमान का ठण्डे पानी, शीतल पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स), बर्फ, आईसक्रीम आदि का सेवन नहीं करें अथवा कफ वृद्धि हो सकती है ।

परम्परागत एवं अनुभवजन्य ज्ञान आधारित अनुशंसाये :

1.      इस माह में बेल तथा बेल के उत्पाद जैसे बेल का मुरब्बा और बेल के शर्बत का सेवन करें ।

2.      इस माह में तेल का सेवन नहीं करें ।

पेय पदार्थ का सेवन:

1.      एक गिलास स्वच्छ जल में 2 चुटकी सौंठ के चूर्ण को मिला कर सेवन करें। ऐसा करने से कफ कम

होगा ।

2.      एक लीटर स्वच्छ जल को उबाल कर आधा लीटर कर लें । जल को ठंडा होने दें । जब जल सामान्य तापमान (रूम टैम्परेचर) पर आ जाये तब जल में आधा चम्मच शहद मिलायें और सेवन करें । इस प्रकार अनुशंसित अनुपात (तथा विधि से) में स्वच्छ जल के साथ 4 चम्मच शहद तक की मात्रा में सेवन किया जा सकता है । ऐसा करने से भी शरीर में कफ़ कम होगा ।

3.      इस माह में दही का सेवन नहीं करें बल्कि मसाले वाले छाछ का सेवन करें ।

4.      इस माह में कृपया कम तापमान के ठण्डे पानी, शीतल पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स), बर्फ, आईसक्रीम आदि का सेवन नहीं करें ।

विहारीय अनुशंसा:

1.      इस माह में जब भी दिन में बाहर निकलें तो सिर को ढकने के लिये, टोपी, पगड़ी अथवा छाते का उपयोग करें ।

2.      चूँकि धूप प्रखर हो रही है अतः धूप के चश्मे का उपयोग हितकर होगा ।

कृपया ध्यान दें:

1.      एक अन्य मत के अनुसार वसंत ऋतु में फाल्गुन माह और चैत्र माह आते हैं । किसी भी नई ऋतु का आगमन अचानक नहीं होता है वल्कि धीरे-धीरे होता है । अतः ग्रीष्म ऋतु की आहट वैशाख़ माह से ही सुनाई पड़ने लगती है तथा मौसम के परिवर्तन को हम महसूस कर सकते हैं । ग्रीष्म ऋतु में  प्रकृति में पित्त प्रकुपित होता है । अत: यदि आप को अपने शरीर में पित्त की अधिकता के लक्षण दिख रहे हों तो पित्त वर्धक आहार का सेवन नहीं करें बल्कि पित्त का शमन (कम करने वाले) करने वाले आहार का सेवन करें ।

2.      उपरोक्त पथ्य अपथ्य सम्बंधी अनुशंसायें स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिये ही हैं. अन्य कृपया सम्मनीय चिकित्सक गणों से सम्पर्क करें.

            सादर

जय बाबा जय जिनेन्द्र

 

Thank You for writing. Please keep in touch. Avtar Meher Baba Ki Jai Dr. Chandrajiit Singh

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