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सोमवार, 10 जून 2024

ककड़ी और खीरे का लाभ और सावधानियाँ

आमतौर पर खीरा और ककड़ी हमारे खाने में सलाद के तौर पर, गर्मी के दिनों में चाव से खाया जाता है। आईये हम आयुर्वेद के अनुसार खीरे और ककड़ी के गुण धर्म जानने का प्रयास करते हैं जिससे इनका आहार के रूप में सदुपयोग बेहतर किया जा सके:


ककड़ी और खीरे के आयुर्वेदिक गुण:

1. ककड़ी और खीरे का स्वाद तथा विपाक मीठा रस होता है। यह रुक्ष (रूखा) होता है किंतु प्यास बुझाने वाला थकान मिटाने वाला तथा शारीरिक जलन को कम करने वाला होता है।

2. यह लघु (पचने में सरल) होता और विष्ठाम्भी (मल को रोकने वाला) होता है।

3. यह प्रकृति में रूखा औऱ वीर्य शीतल (ठंडी तासीर) होता है।

*ककड़ी और खीरे के सेवन से लाभ:*
1. यह बस्ति शोधक (मूत्राशय को साफ करने वाला) और मूत्रला (मूत्र की मात्रा को बढ़ाने वाला)।

2. यह पित्त को कम करता है, अतः पित्त की समस्या जैसे एसिडिटी (पित्त भड़कना), आधा सीसी का दर्द उल्टी तथा खट्टी डकार, रक्तपित्त (ब्लीडिंग) की स्थिति में इसका सेवन करना लाभकारी हो सकता है।


*खीरा और ककड़ी का सेवन करने के पूर्व ध्यान रखें:*
1. यह वात को बढ़ाने वाला तथा रुक्ष (रूखा) होता है अतः गैस्ट्रिक समस्या, जोड़ों में दर्द अथवा कब्ज़ की समस्या हो सकती है।

2. यह शीत प्रकृति का होता है अतः खाँसी ज़ुखाम की स्थिति में इसका सेवन नहीं करना चाहिये।


*खीरे का बाहरी उपयोग:*
1. खीरे को चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आती है।

2. खीरे के टुकड़े बंद आँखों पर रखने से आँखों की थकावट दूर होती है।

3. खीरे के गूदे और बीज को माथे पर लगाने से अनिद्रा दूर होती है।


*ध्यान दें:*
ककड़ी और खीरे का सेवन वर्षा ऋतु में नहीं करना चाहिये।


*आग्रह:*
कृपया लेख के बारे में अपने विचार और सुझाव, कमेंट बॉक्स में अवश्य अंकित करें।


*सादर*
*प्रियतम अवतार मेहेरबाबा की जय जय जिनेन्द्र सदा*

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1 टिप्पणी:

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